Friday 31 October 2014

समय-परिस्थिति के अनुरूप निर्णय की असाधारण क्षमता है श्री शिवराज सिंह चौहान में






समय-परिस्थिति के अनुरूप निर्णय की

 असाधारण क्षमता है श्री शिवराज सिंह चौहान में

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की तुलना एक ऐसे व्यक्ति के रूप में की जाती है जो समय और परिस्थिति भाँपने और उसके अनुरूप निर्णय लेने की असाधारण क्षमता रखते हैं। वे ऐसे नेता हैं जो न केवल अपने दल को बल्कि निराशा से घिरती जनता को अपनी उपस्थिति का मजबूत अहसास दिलाकर पुन: आत्म-विश्वास से भर देते हैं।

पिछले एक साल के दौरान मध्यप्रदेश को प्रकृति के तांडव का तीन बार सामना करना पड़ा। पहला मानूसन के दौरान प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में भारी वर्षा से गाँव के गाँव डूब में आये। तब श्री चौहान ने खुद मोर्चा सम्हाला। दिन-रात एक कर दिये, राहत और बचाव कार्यों को अंजाम देने में। ऐसा प्रतीत होता था राज्य नियंत्रण कक्ष मानो मुख्यमंत्री आवास में खुल गया है। कमान स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री सम्हाले हुए हैं। पूरी रात कमिश्नर-कलेक्टरों से जीवंत सम्पर्क। क्षेत्र के जन-प्रतिनिधियों-कार्यकर्ताओं से सीधी चर्चा। हिम्मत और हौसले के साथ लोगों की मदद के निर्देश। दिन निकलते ही आला अधिकारियों के साथ बैठक। स्थिति की समीक्षा। हर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश। इतना ही नहीं खराब मौसम की परवाह किये बगैर प्रभावित क्षेत्र के दौर पर निकलना। हर जिले की ही नहीं हर गाँव की जानकारी लेना और प्रभावितों के भोजन, वस्त्र, ठिकाने की व्यवस्था सुनिश्चित हो जाने तक लगातार जुटे रहना। मैं खुद साक्षी हूँ। देखा वे लगातार अठारह-बीस घंटे इस कार्य में लगे हैं। मुख्यमंत्री को इतनी मेहनत करते देख अधिकारी-कर्मचारी भी दोगुने उत्साह से जुटे। जन-प्रतिनिधि लगे रहे और जनता में भी इतना आत्म-विश्वास जागा कि संकट का सामना कर लिया गया। स्थिति सामान्य हो गयी। बरसात भी थम गयी। प्रकृति शायद एक परीक्षा और लेना चाहती थी।

मानसून की मोहलत पाकर किसानों ने खरीफ की फसलें बोईं। सोयाबीन लह-लहाने लगा कि तभी फिर भारी वर्षा से तबाही के मंजर से कुछ ही दिनों में दूसरा संकट पैदा हो गया। देखते-देखते खेत डूबने लगे। किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। मध्यप्रदेश ने केन्द्र सरकार को वस्तु-स्थिति से अवगत करवाया। सहायता की माँग की। केन्द्रीय दल निरीक्षण पर आया। उसने भी तबाही हुई है, स्वीकार किया। केन्द्रीय मदद की प्रतीक्षा किये बगैर मुख्यमंत्री ने प्रदेश में किसानों को मदद देने का सिलसिला शुरू किया। संबंधित केन्द्रीय मंत्रियों से लेकर प्रधानमंत्री जी तक को केन्द्रीय मदद उपलब्ध करवाने के लिये पत्र लिखे। स्वयं भी दिल्ली जाकर उनसे मिले। किसानों की हालत बयान की। मुख्यमंत्री की इस सक्रियता से किसान आत्म-विश्वास के साथ पुन: उठ खड़े हुए।

नुकसान तो बहुत हुआ पर भरपूर वर्षा का अगली फसल के लिये किसानों को लाभ भी मिला। सिंचाई के तालाब लबालब भर गये। समय पर खाद-बीज मिलने, वह भी जीरो प्रतिशत ब्याज दर के ऋण पर, किसान फिर जुट गये। मुख्यमंत्री की हौसला अफजाई से वे उत्साहित थे। फसलें बोई गयीं। खेत हरे-भरे दिखने लगे। बीच-बीच में मावठा गिरने और भरपूर बिजली मिलने का फायदा उठा कर जहाँ जरूरत पड़ी सिंचाई होने से फसलें मजबूती के साथ जवान हो गयीं। मध्यप्रदेश में, लोग ऐसा कहते हैं, इतनी शानदार फसल पहले कभी नहीं देखी गयी थीं। कुछ समय और बीता, फसलें पकने लगीं। फसलें किसानों के घर आने को ही थी पर प्रकृति को यह मंजूर नहीं था। मौसम ने अचानक करवट बदली। मौसम बसंती था पर ठंडी आ गयी। इतना ही नहीं प्रकृति इतनी निष्ठुर हो गयी कि उसने पूरे प्रदेश में तीसरा तांडव करना प्रारंभ कर दिया। ओले गिरने लगे। जो फसलें थोड़ी देर पहले खुशी से झूम रही थीं, प्रकृति की इस निष्ठुरता को बर्दाश्त नहीं कर पायीं। जमींदोज हो गयी। हतप्रभ किसान मानो टूट गया। घर आने से ठीक पहले ही उसकी फसल प्रकृति ने छुड़ा ली थी। रह गये किसानों की आँखों में आँसू।

श्री शिवराज सिंह चौहान को तबाही की कभी इस जिले से तो कभी उस जिले से खबरें मिल रही थीं। वे रात भर सोये नहीं। सुबह होते ही उन्होंने मंत्रियों और प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई। अचानक उत्पन्न इस असाधारण परिस्थिति से कैसे निपटा जाये, सलाह-मशविरा किया। स्थितियाँ बहुत विकट थीं। बैठक में सबके चेहरे पर चिंता थी। चिंतित शिवराज भी थे। उन्होंने दृढ़ता का परिचय देते हुए स्थिति को सम्हाला, कहा कि हाथ पर हाथ धर कर बैठने से काम नहीं चलेगा। यह नेतृत्व और प्रशासन की परीक्षा की घड़ी है। उन्होंने दृढ़ता के साथ कहा कि इस संकट से किसानों को पार ले जायेंगे। जन-प्रतिनिधि, अधिकारी अविलम्ब किसानों के बीच पहुँचे। ढाँढस बँधायें, उनका मनोबल टूटने न दें। यह समय उदासीनता बरतने अथवा निराश होने का नहीं है। श्री चौहान ने निर्देश दिये कि क्षति आकलन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाय। हर गाँव और हर खेत का पारदर्शिता के साथ सर्वेक्षण हो। उन्होंने किसी भी कोताही की स्थिति को नाकाबिले बर्दाश्त मानते हुए कलेक्टरों की जिम्मेदारी निर्धारित की। राज्य स्तर पर भी कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में संबंधित विभाग के उच्च अधिकारियों की संयुक्त समिति बना कर सतत निगरानी की व्यवस्था की। राज्य के बजट में इस आपदा से निपटने के लिये 2000 करोड़ रुपये की तात्कालिक व्यवस्था के निर्देश दिये। बजट में इतनी बड़ी राशि के प्रावधान से चिंतित वित्त विभाग को श्री चौहान ने आश्वस्त किया कि भले ही विकास कार्यों में कटौती तथा अन्य खर्चों में कमी करना पड़े, किसानों को मुआवजा दिया जायेगा। उन्होंने प्रदेश के सभी कमिश्नर-कलेक्टरों को भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये तत्काल सक्रियता बरतने के निर्देश दिये।

श्री चौहान इस चर्चा के फौरन बाद मंत्रालय से सीधे ओला प्रभावित क्षेत्रों की तरफ निकल पड़े। किसानों से हौसला बनाये रखने की अपील की। जगह-जगह जाकर ढाँढस बँधाते हुए विश्वास दिलाया कि चिंता न करें, परेशान न हों। मैं हूँ ना। उन्होंने जिन किसानों की 50 प्रतिशत से अधिक फसलें नष्ट हुई हैं उन्हें एक रुपया किलो गेहूँ-चावल उपलब्ध करवाने, बेटी का ब्याह होने पर 25 हजार रुपये देने जैसी महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं। जिन किसानों की 25 से 50 प्रतिशत फसलें तबाह हुई हैं उन्हें भी मुआवजा देने का वायदा किया। क्षति में किसानों की सब्जी-भाजी, फल आदि सभी तरह की फसलों, परिजनों की मृत्यु, पशुधन की हानि तथा घर-द्वार की क्षति पर भी व्यवहारिक मुआवजा उपलब्ध करवाने के निर्णय की जानकारी दी। हताश होते किसानों पर मुख्यमंत्री की इस सक्रियता का सीधा असर दिखा। विश्वास जगा। वे पूरी तरह आश्वस्त हैं कि श्री शिवराज सिंह चौहान उनके साथ हैं।

श्री चौहान की दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प के साथ कार्य करने का एक और उदाहरण याद आता है। पिछले साल उत्तराखंड में भयानक प्राकृतिक आपदा से भीषण तबाही हुई। पूरे देश के लाखों तीर्थ-यात्री फँस गये। शायद श्री चौहान को पहले ही दिन इस विपत्ति की भयावहता का अहसास हो गया था। वे अविलम्ब उत्तराखंड गये। आश्रमों में जाकर प्रदेशवासियों के लिये शिविरों की व्यवस्था की। प्रकृति का तांडव बढ़ता गया। आने-जाने के सारे रास्ते बंद होते गये। प्रकृति का जब यह रौद्र रूप थमा, उत्तराखंड भारी तबाही से गुजर चुका था। हर तरफ भयानक मंजर। पूरा देश चिंतित। केवल वायु मार्ग से वहाँ पहुँचने की, वह भी कुछ दिनों बाद स्थिति बनी। श्री चौहान ने प्रदेश के पूरे हेलीकाप्टर, वायुयान उत्तराखंड भेज दिये। किराये से भी हेलीकाप्टर लेकर वहाँ भेजे। उन्होंने निर्देश दिये कि मानवीयता के साथ बगैर भेदभाव के जो भी यात्री वहाँ फँसा दिखाई दे, उसे सुरक्षित स्थानों पर लाया जाय। प्रदेश से एक वरिष्ठ मंत्री को दल-बल के साथ राहत-बचाव कार्यों के लिये वहाँ भेजा। यह श्री चौहान की दूरदर्शिता ही थी और मानवीय संवेदना के साथ कार्य करने की प्रकृति। हजारों तीर्थ-यात्रियों को विशेष विमान से सुरक्षित प्रदेश लाया गया। जिनके परिजन लौट कर नहीं आ पाये ऐसे परिवारों की आर्थिक मदद भी की गयी। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री खुद विमान लेकर यात्रियों को लेने पहुँचे। जिन आश्रम में प्रदेशवासियों के लिये व्यवस्था की गयी थी, वहाँ गये। आभार माना। श्री शिवराजसिंह की इस दूरदर्शिता और कार्य-प्रणाली का कायल है पूरा प्रदेश। 

शिवराज सिंह चौहान : जिद, जुनून और जज्बे से बना व्यक्तित्व







शिवराज सिंह चौहान : जिद, जुनून और जज्बे से बना व्यक्तित्व

सामाजिक जीवन में सक्रिय कार्यकर्ता का व्यक्तित्व कार्य और व्यवहार से बनता है। भारतीय राजनीति के शिखर पर उभरते राजनेता शिवराज सिंह चौहान का 55 वाँ जन्म दिवस उनके व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों को समझने का उपयुक्त अवसर है। शिवराज सिंह चौहान का व्यक्तित्व बहुमुखी है। वे राजनीति में शुचिता के पक्षधर और विरोधियों के प्रति सहिष्णुता तथा सहृदयता के नवीन मानदंड स्थापित करने वाले प्रभावी राजनेता हैं। मध्यप्रदेश के राजनीतिक इतिहास में लगातार तीसरी बार एक राजनीतिक दल की सरकार बनाने वाले कुशल संघटक हैं। मंथर गति से चलने वाली नौकरशाही को दौड़ाने वाले दक्ष प्रशासक हैं। सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के लिए बेटी बचाओ अभियान जैसे दूरदर्शी सामाजिक आंदोलनों के सूत्रधार हैं। बहनों की आँखों में आंसू नहीं आने पाए, इसके लिए चारो पहर चितिंत और सक्रिय रहने वाले भाई हैं। बेटे-बेटियों के जीवन पथ पर कांटे नहीं आए उनके उन्नति में कोई बाधा नहीं रहे, तत्परता के साथ प्रयासरत मामा हैं। कामगारों के बेहतर जीवन स्तर के लिए उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का संकल्प लेकर कार्य करने वाले जननेता हैं। इन सबमें जनकल्याण के लिऐ हर क्षण-पल कार्य करने की जिद, जुनून और जज्बा ही है जिसने उनके व्यक्तित्व का निर्माण किया है। मात्र 12 वर्ष की उम्र में जैत के मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने की उनकी जिद और जुनून आज भी कायम है। एक दिन की मजदूरी में पूरी महीने के राशन की व्यवस्था उनके व्यक्तित्व और उसी जिद, जुनून और जज्बे का कारनामा है।

प्रभावी राजनेता

श्री चौहान का व्यक्तित्व प्रभावी राजनेता का है। दूरदर्शिता-तात्कालिकता, दृढ़ता-विनम्रता और आत्मीयता-सहृदयता का अदभुत संयोजन है। दुष्टों के साथ वज्र से कठोर और सज्जनों के साथ फूल से कोमल व्यवहार उनके व्यक्तित्व की विशिष्टता है। जनता को भगवान मानकर कार्य किया है। इसका सुफल विधानसभा चुनावों में उनकी सरकार की लगातार तीसरी विजय है। जनता के कल्याण के नवीन कार्यक्रमों, योजनाओं की लंबी श्रंखला, निरंतर दौरे कर आमजन के साथ सीधे संवाद और आम आदमी को खास बनाकर कार्य करने की शैली से वे प्रदेश के राजनैतिक आकाश के सबसे अधिक चमकते सितारे बन गये हैं।

कुशल संघटक

श्री चौहान का व्यक्तित्व कुशल संघटक का है जो संगठन को निरंतर मजबूत और उत्तरोत्तर आगे ले जाने की क्षमता रखता है। श्री चौहान ने गरीबों के संरक्षक, किसान पुत्र हैं। उन्होंन अपने चमत्कारी व्यक्तित्व से प्रदेशवासियों के दिल में जगह बनाई है। उन्होंने विधानसभा निर्वाचन के प्रचार अभियान का लगभग एकतरफा नेतृत्व किया। मात्र 19 दिनों में 136 विधानसभा क्षेत्रों में 141 आमसभाओं को संबोधित किया। जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान सड़क मार्ग से चार हजार किलो मीटर से अधिक यात्रा कर 140 से अधिक क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन किया। पार्टी के लिए आमजन का सफल आशीर्वाद प्राप्त किया।

संवेदनशील नेतृत्व

श्री चौहान का व्यक्तित्व संवेदनशील है। सामाजिक मुद्दों के प्रति उनकी सोच दूरदर्शी और संवेदनात्मक है। महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय को खत्म करने की बाल्यकाल में बनी सोच न केवल कायम है बल्कि उनकी प्रशासनिक और राजनीतिक शैली का मुख्य आधार है। महिलाओं के सम्मान के लिये उन्होंने सामाजिक अगुआई के साथ कार्य किये हैं। उनके संवेदनशील नेतृत्व में बेटी बचाओ अभियान का सूत्रपात देश में बिगड़ते लैंगिक अनुपात को नियंत्रित करने का प्रयास है। महिला अत्याचारों पर राज्य में पूर्ण विराम लगाने का प्रयास शौर्यादल के माध्यम से किया है। स्थानीय निकायों में महिला आरक्षण, पुलिस बल में विशेष बटालियन, महानगरों में महिला सेल और महिलाओं पर अपराधों के मामलों में समय-सीमा में अनुसंधान जैसी पहल सामाजिक विषयों के प्रति उनके व्यक्तित्व की संवेदनशीलता का परिचायक है।

सक्षम प्रशासक

मुख्यमंत्री श्री चौहान का व्यक्तित्व दक्ष प्रशासक का है। मुख्यमंत्री का शासनकाल उनके प्रशासकीय गुणों की उत्कृष्टता का बयान करता है। जिसे विरासत में बीमारू मध्यप्रदेश मिला। अनुभवहीन प्रशासक की आशंकाऐं भी थीं। श्री चौहान ने दिन के 20 से 22 घंटे तक लगातार कार्य करते हुये योग्य प्रशासकों की टीम मध्यप्रदेश बना ली। प्रदेश में विकास की उपलब्धियों का नया इतिहास रचा है। राज्य को अनेक अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुये हैं। सिंचाई क्षेत्र के रकबे में बढ़ोत्तरी, कृषि उत्पादन में क्रांति, विकास दर में वृद्धि, स्वास्थ्य सूचकांको में सुधार, रोजगार और उद्योगों, धंधों के नये अवसरों का सृजन आदि अनेक क्षेत्रों में अभूतपूर्व उपलब्धियाँ उनके सक्षम प्रशासन का प्रतिफल है।

सहृदय व्यक्ति

श्री चौहान का व्यक्तित्व सहृदय व्यक्ति का है। उनकी विनम्रता अभूतपूर्व है। जनता से सम्मानीय दूरी (Respectable Distance) रखने के निरंतर मिलने वाले सुझाव और सुरक्षा की विवशताओं का दवाब भी उन्हें आमजन से घुलने-मिलने से नहीं रोक पाती है। यहां-वहां वह सुरक्षा के घेरे और प्रोटोकॉल के प्रतिबंधों के बाहर जाकर आमजन के दु:ख में सहभागी हो जाते हैं। एक स्थान पर तो एक बीमार आदमी ने पेशाब की थैली तक उनको पकड़ा दी। आमजन में उनकी विनम्रता के भरोसे का सम्भवत: यह सबसे प्रभावी प्रतीक है। सहृदयता को उनके व्यक्तित्व में सर्वोच्च स्थान है। फिर चाहे विरोधियों के साथ व्यवहार की बात हो अथवा आपदाओं में प्रदेशवासियों की मदद की हो। उनके व्यवहार का आधार सहृदयता ही रही है। उत्तराखंड की बाढ़ में फँसे तीर्थयात्री, ओले-पाले से जूझ रहे किसान अथवा दतिया में मुख्यमंत्री के विरोध प्रदर्शन में दुर्घटनाग्रस्त होने वाली महिला की आर्थिक सहायता के अवसर हो, सभी में उन्होंने विशाल उदारता का परिचय दिया है।

समग्र रूप में देखें तो मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने धीमी गति से चलने वाले तंत्र को सक्रिय और सामाजिक विषयों के प्रति उदासीन जन में नया जोश और उत्साह संचारित करने के प्रयास आओ बनाएं मध्यप्रदेश अभियान की संकल्पना उनकी जिद, जुनून और जज्बे से बने व्यक्तित्व का ही सुफल है।

प्रजातंत्र की गरिमा कायम रखी है श्री शिवराज ने




प्रजातंत्र की गरिमा कायम रखी है श्री शिवराज ने

प्रजातंत्र में लोकप्रियता की कसौटी का मापदण्ड क्या? इसका सबसे सरल और सीधा जवाब है जनता की स्वीकार्यता और चुनाव में जीत। श्री शिवराजसिंह चौहान की इससे बड़ी जन स्वीकार्यता क्या होगी कि प्रदेश के युवा उन्हें अपने मामा, महिलायें अपने भाई और प्रदेशवासी अपना सबसे प्रिय हितैषी मानते हैं। ऐसा कोई एक-दो दिन में नहीं हुआ। श्री शिवराज ने मन वचन और आचरण से अपने आप को ऐसा ढ़ाला है कि पूरा प्रदेश उनका अपना हो गया। और जहाँ तक चुनाव में जीत का सवाल है वे लगातार इस कसौटी में खरे उतरे हैं।

मध्यप्रदेश के जैत गाँव के किसान परिवार में 5 मार्च 1959 को जन्मे श्री शिवराजसिंह चौहान बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी हैं। नेतृत्व क्षमता उनमें बचपन से है। छोटी कक्षा में मानीटर बनने से लेकर मॉडल हायर सेकेण्ड्री स्कूल के छात्र संघ अध्यक्ष तक उन्होंने छात्र जीवन में नेतृत्व का पाठ सीखा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभिन्न पदों में रहे। भारतीय जनता पाटी के युवा मोर्चा के अनेक पदों से लेकर अध्यक्ष तक का पदभार उन्होंने संभाला। वे भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। वे सन् 1990 में पहली बार बुदनी विधानसभा क्षेत्र में विधायक का चुनाव जीते। उनकी नेतृत्व क्षमता, मिलनसारिता, सरल व्यक्तित्व और सर्वसुलभता का परिणाम था कि वे पाँच बार चुनाव में विजयी होकर विदिशा-रायसेन लोकसभा क्षेत्र से संसद सदस्य रहे। नेतृत्व क्षमता को ही पहचान कर भारतीय जनता पार्टी ने शिवराजसिंह चौहान में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की योग्यता देखी। शिवराजसिंह चौहान 29 नवम्बर 2005 को पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री बनाये जाने के निर्णय में वे एक सफलतम व्यक्ति साबित हुए।

वर्ष 2008 में प्रदेश विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री रहते हुए चौहान ने नेतृत्व में लड़ा गया। इसमें भारतीय जनता पार्टी ने पुन: ऐतिहासिक जीत दर्ज की। परिणामस्वरूप श्री चौहान ने 12 दिसम्बर 2008 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की दोबारा शपथ ली। इस विजय ने साबित कर दिया कि शिवराजसिंह चौहान सही अर्थों में जननेता हैं। उन पर आम जन का अटूट विश्वास है। शिवराज ने भी इस विश्वास को कभी खंडित नहीं होने दिया। उन्होंने प्रदेश में प्राय: सभी वर्गों की पंचायतें बुलाकर उनके हित में व्यवहारिक निर्णय लिये।

उन्होंने मध्यप्रदेश को बीमारू के कलंक से उबार कर देश का सबसे तेजी से विकसित होता राज्य बनाया। उनके कार्यकाल में मध्यप्रदेश की विकास दर लगातार डबल डिजिट में चल रही है। कृषि विकास दर 19 प्रतिशत से अधिक होने का चमत्कार मध्यप्रदेश में श्री चौहान के नेतृत्व में देखा है। प्रदेश में 24 घंटे बिजली और क्षिप्रा का नर्मदा से मिलन भी किसी चमत्कार से कम नहीं है। सिंचाई, सड़कें, उद्योग आदि हर क्षेत्र में मध्यप्रदेश के बढ़ते कदम देश के लिये उदाहरण बन गये। श्री शिवराज का संकल्प है कि मध्यप्रदेश को देश का ही नहीं दुनिया का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाना है। जनता भी उनके साथ है तभी पिछले विधानसभा निर्वाचन में श्री चौहान के जादुई नेतृत्व में उन्हे 165 सीटों का प्रचंड बहुमत मिला। उन्होंने 14 दिसम्बर 2013 को जम्बूरी मैदान में आयोजित ऐतिहासिक समारोह में तीसरी बार लगातार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ ली।

आकर्षण है श्री शिवराज में। वे प्रदेश के ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो बिल्कुल सरल, सहज, मिलनसार हैं। उनमें पद का घमंड किसी ने कभी ने देखा होगा। हर कोई उनसे मिल लेता है। बल्कि यह कहना ज्यादा ठीक होगा कि वे खुद ही जाकर हर किसी से मिल लेते हैं। इसमें सबसे बड़ी बात यह की वे पंक्ति में खड़े सबसे आखिरी व्यक्ति तक पहुँचने की कोशिश ही नहीं करते स-प्रयास उनके समीप होते हैं। लगता है हर किसी की पीड़ा उनकी अपनी है। इस पीड़ा को हर लेना चाहते हैं वे।

कठिन परिश्रम में उनका कोई सानी नहीं है। आश्चर्य होता है देखकर कि वे प्रतिदिन 18 घंटे से अधिक लगातार कार्य करते हैं। उनके द्वारा किया गया जनदर्शन, वनवासी सम्मान यात्रा और अभी हाल में हुये विधानसभा चुनावों से पहले उनकी जन आशीर्वाद यात्रा सुबह से लेकर अक्सर दूसरा दिन लग जाने तक लगातार चलीं। वे कभी थकते नहीं दिखे। विभागों की समीक्षा का दौर और प्रशासनिक कार्य भी वे ऐसे ही लगातार करते हैं। उन्होंने एक आम कार्यकर्ता से लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बनने का सफल इसी परिश्रम से तय किया है। वे सतत अध्ययनशील हैं। सामान्यत: किसी भी विषय पर वे बिना अध्ययन के नहीं बोलते। जब भी बोलते हैं पूरे अधिकार के साथ विषय पारंगत होकर। सबने सुना है धर्मों और दर्शन के विविध आयामों पर उन्हें बोलते हुए। गीता के श्लोक उन्हें कंठस्थ हैं। सामयिक विषयों पर लगातार तथ्य परक बात करते हैं। उनके मुख से कबीर और संत रविदास, महात्मा ज्योतिबा फुले की वाणी झरने के शुद्ध जल की तरह प्रवाहित होते देखी है। प्रकाश पर्व पर गुरू ग्रंथ साहब, पर्यूषण पर्व के क्षमापर्व के अवसर पर जैन धर्म का उल्लेख, इस्लाम और ईसाई धर्मों के त्यौहारों पर शिवराज का धार्मिक संवाद सुन बहुतों को अवाक होते देखा है। अपने शासकीय निवास पर इन सब धर्मों को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री हैं।

श्री चौहान ने अपने जीवन में पं. दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन को अपनाया है। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने जितनी भी योजनाएँ बनाईं सभी में पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रेरणा दिखायी देती है। वे दीन को भगवान मानकर उनकी सेवा का संकल्प लिये कार्य करते हैं। पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति और समाज के सबसे कमजोर वर्ग का सबसे पहले कल्याण उनका लक्ष्य होता है।

दृढ़-इच्छाशक्ति के साथ संकल्पबद्ध होकर कार्य करना उनकी विशेषता है। इसी विशेषता से उन्होंने मध्यप्रदेश में बेटी को बोझ से वरदान बना दिया। आज मध्यप्रदेश में बेटियाँ अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। शिवराज का '' बेटी बचाओ अभियान'' प्रदेश में जन आंदोलन का रूप ले चुका है। बेटियों की घटती संख्या राष्ट्रीय चिंता का विषय है। मध्यप्रदेश में उनके द्वारा प्रारंभ अभियान से वे देश में बेटी बचाओ आंदोलन के प्रणेता बन गये हैं।

श्री शिवराज अपने सरल स्वभाव और साफगोई से सबको अपना बना लेते हैं। राजनीति में उनकी सौजन्यता से विरोधी भी कायल हो जाते हैं। राजनीति उनके लिये सेवा का माध्यम है। उन्होंने अपने पुरूषार्थ, कर्मठता और सहजता से राजनीति को नयी शैली दी है। प्रजातंत्र की गरिमा ऐसे ही नेतृत्व से कायम है।

मध्यप्रदेश का चमत्कारिक विकास राष्ट्रीय स्तर पर रेखांकित








मध्यप्रदेश का चमत्कारिक विकास राष्ट्रीय स्तर पर रेखांकित

एक दशक पहले विकास के हर क्षेत्र में फिसड्डी रह कर "बीमारू" राज्य की श्रेणी में रखा जाने वाला मध्यप्रदेश आज विकास और समृद्धि के क्षेत्र में कुलांचें भर रहा है। मध्यप्रदेश की इस चमत्कारिक उपलब्धि को इस वर्ष भारत सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण में भी प्रमुखता से रेखांकित किया गया है। सकल घरेलू उत्पाद, औसत सकल राज्य घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय, इन तीन संकेतकों में मध्यप्रदेश के शानदार प्रदर्शन को आर्थिक सर्वेक्षण में विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है। मध्यप्रदेश ने अपने स्वयं के संसाधनों को भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया है, जिससे विकास की गति और तेज हुई है।

आर्थिक विकास दर बड़े राज्यों में सबसे ज्यादा

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013-14 के अग्रिम अनुमानों के अनुसार मध्यप्रदेश की आर्थिक विकास दर 11.08 प्रतिशत और कृषि विकास दर 24.99 प्रतिशत से अधिक है। मध्यप्रदेश की 11.08 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद दर है, जो देश के बड़े राज्यों में सबसे अधिक है। आधार वर्ष 2004-05 में प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 1 लाख 12 हजार 926 करोड़ का था, जो 2013-14 में बढ़कर लगभग 2 लाख 38 हजार 526 करोड़ का हो गया। इस प्रकार सकल घरेलू उत्पाद में 111 प्रतिशत वृद्धि हुई। प्रति व्यक्ति आय में भी आधार वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय 350 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। 2004-05 में जहाँ प्रति व्यक्ति आय 15 हजार 442 रुपये थी वहीं 2013-14 में 54 हजार 34 रुपये हो गई।

जी डी पी में राष्ट्रीय औसत से अधिक वृद्धि

मध्यप्रदेश की सकल घरेलू उत्पाद में 11.08 प्रतिशत की वृद्धि औसत भारतीय वृद्धि 4.7 प्रतिशत से ढाई गुना से भी अधिक है। इसी प्रकार राज्य की प्रति व्यक्ति शुद्ध घरेलू उत्‍पाद आय वृद्धि 20.10 प्रतिशत रही है जबकि राष्ट्रीय औसत 10.44 प्रतिशत ही है। राज्य की यह आय वृद्धि भी राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुनी है। मध्यप्रदेश वर्ष 2009-10 से ही अपनी वृद्धि दर 9 प्रतिशत से ऊपर बनाए हुए है और यह गति निरंतर जारी है।

राजकोषीय घाटे में लगातार कमी

राजकोषीय घाटा लगातार कम हुआ है। वर्ष 2013-14 में यह 2.98 प्रतिशत रह गया जबकि 2003-04 में 7.12 प्रतिशत था। वर्ष 2004 से लगातार राजस्व आधिक्य की स्थिति बनी हुई है। वर्ष 2003-04 में ऋण पर ब्याज का भुगतान राजस्व प्राप्तियों का 22.44 प्रतिशत था, जो अब घटकर 6.7 प्रतिशत रह गया है।

प्रदेश के बजट में 540 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वर्ष 2002-03 में प्रदेश का बजट 21 हजार 647 करोड़ था, जो वर्ष 2014-15 में एक लाख 17 हजार 40 करोड़ 99 लाख हो गया है। स्व-कर राजस्व में 5 गुना से अधिक की वृद्धि हुई। वर्ष 2003-04 में स्व-कर राजस्व 6805 करोड़ था, जो वर्ष 2014-15 में बढ़कर 38 हजार 938 करोड़ 88 लाख रुपये हो गया है।

मध्यप्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में दो अंकों में वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान कृषि एवं संबंधित क्षेत्र का है जिसकी वृद्धि दर 29 प्रतिशत है जबकि उद्योग क्षेत्र की 25.6 प्रतिशत। सेवा क्षेत्र में भी वृद्धि दर 45.4 प्रतिशत रही है।

स्व-कर राजस्व में पाँच गुना वृद्धि

मध्यप्रदेश ने बीते 10 वर्ष में विकास के क्षेत्र में जो उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं उनमें उसके स्वयं के स्व-कर राजस्व की अहम भूमिका रही है। विगत 10 वर्ष
में इसमें पाँच गुना से अधिक वृद्धि हुई है। वर्ष 2003-04 में राज्य में स्वयं के करों से राजस्व की प्राप्ति मात्र 6805 करोड़ रुपये थी, जो 2013-14 में पाँच गुना से अधिक बढ़कर 33 हजार 382 करोड़ अनुमानित है। केन्द्रीय करों में राज्य का संवैधानिक अंश 23 हजार 694 करोड़ इसके अतिरिक्त है।

इसी प्रकार मध्यप्रदेश ने आयोजना व्यय में 6 गुना की महत्वपूर्ण वृद्धि हासिल की है। इसके फलस्वरूप प्रदेश में अधोसंरचना का तेजी से विकास हुआ है। यह प्रदेश में लोगों के पास बढ़ते पैसों को भी दर्शाता है। प्रदेश में आयोजना व्यय वर्ष 2003-04 में 5684 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2013-14 में छह गुना से अधिक बढ़कर 37 हजार 608 करोड़ अनुमानित है।

पूँजीगत व्यय बढ़ने से सड़क, बाँध सहित अधोसंरचना के विभिन्न क्षेत्र में बेहतर प्रावधान किये जा सके हैं। मध्यप्रदेश में पूँजीगत व्यय वर्ष 2003-04 में महज 2883 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 17 हजार 558 करोड़ होना अनुमानित है।

कुशल वित्तीय प्रबंधन के एक अन्य मानक में अच्छी उपलब्धि हासिल करते हुए मध्यप्रदेश में वर्ष 2004-05 से लगातार राजस्व आधिक्य का बजट प्रस्तुत हो रहा है। इससे पता चलता है कि प्रदेश ने अपने संसाधनों का बेहतर प्रबंधन किया है। वर्ष 2003-04 में प्रदेश में राजस्व घाटा (माइनस) 4476 करोड़ रुपये था, जिसके उलट वर्ष 2013-14 में राजस्व आधिक्य (प्लस) 5215 करोड़ रुपये अनुमानित है।
मध्यप्रदेश में मार्च 2014 की स्थिति में साख जमा अनुपात 66 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय मानक 60 प्रतिशत से अधिक है। इसी तरह कुल अग्रिम का प्राथमिक क्षेत्र में अग्रिम राष्ट्रीय मानक 40 प्रतिशत की तुलना में 59 प्रतिशत है। कुल अग्रिम में कृषि अग्रिम राष्ट्रीय मानक 18 प्रतिशत की तुलना में 34 प्रतिशत है। प्रदेश में कुल अग्रिम में कमजोर वर्गों को दिया गया अग्रिम कुल अग्रिम का 13 प्रतिशत है, जबकि इसका राष्ट्रीय मानक 10 प्रतिशत है।

प्रदेश में पिछले वर्ष मार्च 2014 तक एक लाख 64 हजार 877 करोड़ का अग्रिम दिया गया इसमें 55 हजार 681 करोड़ कृषि क्षेत्र को, 22 हजार 937 लघु उद्योग क्षेत्र को तथा 21 हजार 271 करोड़ कमजोर वर्गों को दिया गया अग्रिम शामिल है।

मध्यप्रदेश में बेंक शाखाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। मार्च 2013 की तुलना में वर्ष 2014 के मार्च तक 466 नई बेंक शाखा खुलीं। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 182, अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 136 तथा शहरी क्षेत्रों में 148 शाखा शामिल हैं। वर्तमान में प्रदेश में कुल 6415 बेंक शाखा हैं। इनमें 2730 ग्रामीण क्षेत्रों में, 1975 अर्ध-शहरी तथा 1710 शहरी क्षेत्रों में हैं। बेंक शाखाओं में से 4102 वाणिज्यिक बेंक, 1121 सहकारी बेंक तथा 1192 क्षेत्रीय ग्रामीण बेंक हैं।

बेंकों में जमा राशि बढ़ी

प्रदेश की बैंक शाखाओं में मार्च 2014 की स्थिति में 2 लाख 49 हजार 525 करोड़ रुपये जमा हैं। यह मार्च 2013 में जमा 2 लाख 20 हजार 689 करोड़ की तुलना में 28 हजार 836 करोड़ अधिक है। यह प्रदेश की आर्थिक प्रगति का सूचक है। इससे यह भी पता चलता है कि लोगों के पास पहले की तुलना में ज्यादा पैसा आ रहा है। घरेलू बचत के प्रोत्साहन तथा बेंकिंग के जरिये उसके वित्तीय बाजार में संचार में वृद्धि का भी पता चलता है।
वित्तीय समावेशन

ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा बेंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिये वित्तीय समावेशन का काम तेजी से चल रहा है। दो हजार से ज्यादा जनसंख्या वाले चिन्हित 2736 गाँव में वित्तीय समावेशन का काम शुरू हो चुका है। वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में हुए बेहतर कार्यों के लिये मध्यप्रदेश को प्रतिष्ठित स्कॉच फायनेंशियल इन्क्लूजन और डीपनिंग अवार्ड 2014 से सम्मानित किया गया है।

वित्तीय समावेशन का लाभ जरूरतमंद ग्रामीणों को आसानी से पहुँचाने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में हर पाँच किलोमीटर के दायरे में अल्ट्रा स्माल बेंक खोली जा रही है। इन बेंक के जरिये 1500 करोड़ से अधिक का कारोबार हो चुका है।

इस प्रकार मध्यप्रदेश आर्थिक विकास के नये आयाम रचते हुए राष्ट्रीय स्तर पर एक समृद्ध होते हुए राज्य की छवि बना रहा है।

डिजिटल मध्यप्रदेश की ओर बढ़ते कदम





मध्यप्रदेश स्थापना दिवस - 1 नवंबर पर विशेष

डिजिटल मध्यप्रदेश की ओर बढ़ते कदम

डिजिटल इंडिया के सपने को सार्थक बनाने की दिशा में डिजिटल मध्यप्रदेश की ओर महत्वपूर्ण कदम बढ़ाये जा चुके हैं। बीते समय में जहाँ इन्दौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट उल्लेखनीय सफलताओं के साथ संपन्न हुई वहीं आई.टी. के क्षेत्र में भोपाल एवं जबलपुर में आई.टी. पार्क एवं इलेक्ट्रॉनिक मेन्युफेक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना के लिए शुरूआत हुई, वहीं भोपाल को प्रस्तावित "सेमी कन्डक्टर फेब' (सेमी कन्डक्टर वेफर फेब्रिकेशन मेन्युफेक्चरिंग फेसिलिटीज) के रूप में अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक चिप निर्माण इकाई की नई सौगात मिलने जा रही है। समिट में प्रदेश में आई.टी., आई.टी.ई.एस., बी.पी.ओ. एवं बी.पी.एम. में निवेश की सुविधाओं विषय पर सेक्टोरियल सेमीनार में प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए काम की सराहना की गई। इससे यह उम्मीद की जा सकती है कि "डिजिटल मध्यप्रदेश'' और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे भी इसी प्रकार परिणाममूलक उपलब्धियाँ हासिल की जाती रहेंगी। राज्य शासन ने मध्यप्रदेश इन्फार्मेशन टेक्नालॉजी इन्वेस्टमेंट पॉलिसी (एज अमेंडेड-2014) और मध्यप्रदेश बी.पी.ओ. एवं बी.पी.एम. इण्डस्ट्री इन्वेस्टमेंट पॉलिसी-2014 जारी की है। इससे निश्चित ही प्रदेश में इन क्षेत्रों में पूँजी निवेश का प्रवाह बढ़ेगा। सेमी कन्डक्टर फेब

'सेमी कन्डक्टर फेब' (सेमी कन्डक्टर वेफर फेब्रिकेशन मेन्युफेक्चरिंग फेसिलिटीज) के रूप में भोपाल को एक अनूठी एवं अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स चिप निर्माण इकाई की सौगात मिलने जा रही है। इससे 'अल्ट्रा हाई-माडर्न तकनीक' के क्षेत्र में प्रदेश के विकास का नया मार्ग प्रशस्त होगा। इसके जरिये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 1 लाख 22 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। इसके लिये जापान से भी मदद ली जायेगी। फेब की क्षमता लगभग 40 हजार डब्ल्यू.एस.पी.एम. रहेगी। इसके लिये राजा भोज विमान तल के पास लगभग 100 एकड़ भूमि उपलब्ध करवायी जायेगी।

इस फेब की स्थापना से देश में इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एवं मेन्युफेक्चरिंग पर बहुत प्रभाव पड़ेगा। यह इलेक्ट्रॉनिक मेन्युफेक्चरिंग सिस्टम डिजाइन एवं मेन्युफेक्चरिंग के क्षेत्र में क्रिटिकल पिलर के सेटअप को स्थापित करने में मदद करेगा। यह टेक्नालॉजी एवं पूँजी के प्रवाह को बढ़ाने में मददगार साबित होगा। यह इकाई रोजगार के नये अवसर उपलब्ध करवाने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स मेन्युफेक्चरिंग में उच्च वेल्यू एडीशन भी करेगी। आई.टी.एस.ई.जेड. मंजूर

प्रदेश में आई.टी. नीति के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक्स और आई.टी. उद्योग में निवेश को आकर्षित करने के लिये लागू आई.टी. नीति देश की सर्वोत्तम नीतियों में से एक है। कौशल विकास तथा बेहतरीन बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता राज्य में निवेश प्रवाह को आकर्षित करती है। बैंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, मुम्बई आदि के बाद अब आई.टी. कम्पनियों को मध्यप्रदेश पसंद आ रहा है।

आई.टी. में निवेश आकर्षित करने के लिये राज्य शासन द्वारा भूमि, स्टाम्प शुल्क में रियायत, विशिष्ट परियोजना लागत की प्रतिपूर्ति, भूमि के उपयोग तथा वैधानिक नियमों में छूट आदि प्रावधानों की पेशकश है।

प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्पलेक्स इंदौर, खण्डवा रोड, इंदौर तथा गंगा मालनपुर ग्वालियर में आई.टी. पार्क स्थापित किये गये हैं। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, और जबलपुर में आई.टी. पार्क प्रस्तावित हैं। राज्य में आई.टी. एस.ई.जेड. को औपचारिक मंजूरी दी जा चुकी है। इंदौर के सुपर कॉरिडोर में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस द्वारा 500 करोड़ की लागत से दो चरण में सॉफ्टवेयर डेव्हलपमेंट केम्पस का कार्य प्रगति पर है। वर्तमान में आई.टी. विभाग के पास लगभग 536 एकड़ जमीन उपलब्ध है।

प्रदेश में ब्लॉक-स्तर तक नेटवर्क से जोड़ने के लिये लगभग 24 हजार किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क विकसित किया गया है। सभी ग्राम-पंचायत में इंटरनेट सेवा उपलब्ध होगी। प्रदेश को आई.टी. तथा ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में कई राष्ट्रीय अवार्ड मिले हैं। इनमें स्कॉच स्मार्ट गवर्नेंस अवार्ड-2013, सीएसआई अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन आई.टी. फॉर कॉम्पलेक्स-2013, सीएसआई निहिलेंट अवार्ड-2009 से 2013 तक लगातार, वेब रत्न अवार्ड, 2009-10, ई-गवर्नेंस के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार 2009-10, NASSCOM सीएनबीसी टीवी 18 अवार्ड 2009, मंथन अवार्ड-दक्षिण एशिया-2009, डीएआरपीजी और सिल्वर आइकान अवार्ड-2008 शामिल हैं।

प्रदेश का पहला ई-कार्यालय

सरकारी प्रक्रियाओं तथा सेवा प्रदाय व्यवस्थाओं में दक्षता को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय ई-शासन योजना में प्रदेश में ई-कार्यालय को कोर मिशन मोड प्रोजेक्ट के रूप में क्रियान्वित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य "पेपरलेस ऑफिस'' की ओर बदलाव करते हुए सरकार की प्रचालन दक्षता में व्यापक सुधार करना है। पॉयलट परियोजना मेप आई.टी. में एन.आई.सी. के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही है।

इसमें 2 अप्रैल, 2014 से मेप आई.टी. में कागज आधारित फाइल प्रणाली के स्थान पर पूर्णतया ई-कार्यालय प्रणाली लागू की गयी है। ई-ऑफिस परियोजना में सभी अधिकारी-कर्मचारियों के सुरक्षित लॉग इन तैयार कर, अधिकारी/निर्णयकर्ता स्तर पर डिजिटल सिग्नेचर जारी किये गये हैं। ई-ऑफिस प्रणाली में वर्तमान में प्रचलित नस्तियों को एक बार स्केन कर ई-ऑफिस सर्वर पर ट्रान्सफर कर दिया गया है, जिसमें सभी पूर्ववर्ती निर्णयों एवं कार्यवाही का ब्यौरा उपलब्ध है। इस तरह मध्यप्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी ऐसा पहला विभाग है, जिसके ऑफिस को पेपर-लेस बनाया गया है।

ई-ऑफिस में नियमित नस्ती के माध्यम से निर्णय प्रक्रिया के साथ-साथ अवकाश तथा यात्रा आवेदन तथा स्वीकृति, यात्रा बिलों के निराकरण की भी सुविधा उपलब्ध है। ई-ऑफिस के नॉलेज मेनेजमेंट मॉड्यूल में सभी महत्वपूर्ण परिपत्र, निर्णय को भी ऑनलाइन नोटिस बोर्ड पर प्रसारित किया जा सकता है।

ई-ऑफिस वेब बेस्ड होने से अधिकारी-कर्मचारी कार्यालय के बाहर होने/यात्रा के दौरान भी सिक्योर्ड नेटवर्क के माध्यम से नस्तियों का निराकरण कर सकते हैं। उपलब्ध विभिन्न रिपोर्टस में पत्र अथवा नस्ती किस व्यक्ति के पास पेंडिंग हैं इयकी जानकारी सहज ही उपलब्ध होने से निर्णयों को अनावश्यक कारणों से लम्बित नहीं किया जा सकता। इससे जवाबदेही सुनिश्चित होने से प्रक्रिया में तेजी आती है।

प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माण में युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिये विशेष कौशल प्रशिक्षण संस्थान खोला जायेगा। इलेक्ट्रॉनिक विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिये एक अकादमिक केन्द्र खोला जायेगा। प्रदेश में नेशनल डाटा सेंटर की भी स्थापना होगी, जिसमें सभी राज्य के महत्वपूर्ण आँकड़े संधारित किये जायेंगे। इसके लिये एन.आई.सी. 200 करोड़ का निवेश करेगी।

केन्द्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल और जबलपुर में इलेक्ट्रॉनिक मेन्युफेक्चरिंग क्लस्टर (ई.एम.सी.) और आई.टी. पार्क का शिलान्यास करते हुए यह बात कही। इसके साथ निजी क्षेत्र की यूनिट सेफ्रान सोलर सिस्टम्स का शिलान्यास भी किया गया। ई.एम.सी. और आई.टी. पार्क में लगभग 10,000 लोगों को रोजगार के नये अवसर मिलेंगे और लगभग 100 करोड़ का निवेश होगा।

ई-शक्ति अभियान

महिलाओं में इंटरनेट एवं कम्प्यूटर के उपयोग को बढ़ावा देने एवं इसके प्रति जागरूकता लाने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रदेश की 5 लाख महिलाओं को इंटरनेट प्रशिक्षण देने के लिये ई-शक्ति अभियान शुरू किया जा रहा है।

अभियान के लक्षित प्रशिक्षणार्थी समूह में महिला-बाल विकास की आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका एवं सुपरवाइजर, स्वास्थ्य विभाग की महिला ए.एन.एम. एवं आशा कार्यकर्ता, स्कूल शिक्षा की महिला शिक्षक एवं हायर सेकेण्ड्री की छात्राएँ, उच्च शिक्षा की महिला प्राध्यापक एवं छात्राएँ, पुलिस की महिला आरक्षक एवं महिलाकर्मी तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास के महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य, नगर निगम की महिलाकर्मी तथा किसान-कल्याण एवं कृषि विभाग की महिला किसान मित्र सम्मिलित हैं। प्रशिक्षण सरल हिन्दी में जिलेवार गूगल टीम द्वारा दिया जायेगा।

एम.पी. कोड पोर्टल

सूचना प्रौद्योगिकी में किये जा रहे नवाचार एवं अभिनव पहल में एम.पी. कोड पोर्टल भी विकसित किया जा रहा है। इस पर शासन के महत्वपूर्ण एक्ट, रूल्स-रेगुलेशन एवं नोटिफिकेशन उपलब्ध रहेंगे।

डिजिटल मध्यप्रदेश : एक नजर में

स्टेट डाटा सेंटर का निर्माण तथा सफलतापूर्वक संचालन।

राज्य-स्तर से विकासखण्ड स्तर तक स्टेट वाईड एरिया नेटवर्क कनेक्टिविटी। अब तक 4000 से ज्यादा कार्यालय जुड़े।

पूरे प्रदेश में विभिन्न लोक-सेवाएँ प्रदान करने के लिये 12 हजार से अधिक नागरिक सुविधा केन्द्रों की स्थापना।

स्टेट पोर्टल तथा स्टेट सर्विस डिलिवरी गेट-वे का निर्माण एवं संचालन।

जियोग्राफिकल इन्फारमेशन सिस्टम की प्रभावी स्थापना के लिये स्टेट स्पेशियल डाटा इन्फ्रा-स्ट्रक्चर का निर्माण।

भोपाल में भारतीय सूचना संस्थान (आई.सी.टी.) की स्थापना की कार्यवाही प्रगति पर।

प्रदेश में राष्ट्रीय मिशन मोड तथा राज्य मिशन मोड में ई-गवर्नेंस परियोजनाओं का वृहद स्तर पर संचालन किया जा रहा है। प्रदेश में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस परियोजनाओं में ई-जिला, ई-कोर्ट और ई-ऑफिस परियोजना शामिल हैं। इसके अलावा ई-रोजगार पोर्टल, एस.आर.डी.एच. परियोजना और क्राइम एण्ड क्रिमिनल ट्रेकिंग सिस्टम भी संचालित हो रहा है। राज्य ई-गवर्नेंस परियोजनाओं में ई-पंजीयन, वाणिज्यिक कर, परिवहन कार्यालयों एवं प्रक्रियाओं का ऑटोमेशन, महाधिवक्ता कार्यालय और व्यापम का कम्प्यूटराइजेशन, समग्र सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम और ई-गतिमान योजना प्रमुख है।

प्रदेश में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट की कार्य-संस्कृति को और बेहतर बनाने के लिये राज्य से जिला-स्तर तक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की पद-स्थापना की मंजूरी दी गई है। ये प्रोफेशनल्स बड़ी परियोजनाओं को तय समय-सीमा में और निर्धारित लागत पर पूरी करने में सहयोग करेंगे। राज्य सरकार द्वारा (CPCT) Computer Profeciens and Compentency Test को प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। यह परीक्षा डाटा एन्ट्री अर्हता परीक्षा के रूप में CAT की तर्ज पर प्रतिवर्ष 2 बार होगी।

प्रदेश की ई-मेल नीति-2014 जारी की गई है। ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। प्रदेश में राज्य से विकासखण्ड-स्तर तक आई.टी. कॉडर बनाया गया है। प्रदेश के 15 जिले में 25 करोड़ लागत से क्षेत्रीय आई.टी. प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किये गये हैं।

मध्यप्रदेश बना तेजी से उभरता राज्य - मिले कई अवार्ड




मध्यप्रदेश बना तेजी से उभरता राज्य - मिले कई अवार्ड


मध्यप्रदेशमुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में तेजी से उभरता हुआ राज्य बना है। प्रदेश को ऊँचाइयों पर पहुँचाने में जहाँ जन-कल्याणकारी योजनाओं का साथ मिला वहीं विकास कार्य ने प्रदेश को अग्रणी बनाया। योजनाओं से आम नागरिक को राहत मिली और मध्यप्रदेश बुलंद हुआ। 
विभिन्न क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए मध्यप्रदेश को बहुत से अवार्ड मिले हैं। साथ ही जनहित में हुए कामों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय-स्तर पर सराहना मिली है। मध्यप्रदेश में जो हुआ वह दूसरों के लिये प्रेरक भी बन गया।
खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये फरवरी-2014 और जनवरी-2013 में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को नई दिल्ली में कृषि कर्मण अवार्ड दिया।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मुम्बई में जनवरी-2014 को सीएनबीसी टी.व्ही.-18 द्वारा प्रदाय किया गया "स्टेट ऑफ द इयर'' पुरस्कार भी ग्रहण किया। इसी प्रकार बड़े राज्यों की श्रेणी में तेजी से उभरते हुए राज्य के लिये मध्यप्रदेश को सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नई दिल्ली में दिसम्बर-2012 को लोक सभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार से आईबीएन-7 "डायमण्ड स्टेट'' अवार्ड प्राप्त किया।
जून-2014 में नई दिल्ली के इण्डिया हेबिटेट सेंटर में मध्यप्रदेश को प्रतिष्ठित स्कॉच फायनेंशियल इन्क्लूजन और डीपनिंग अवार्ड-2014 तथा स्कॉच अवार्ड ऑफ मेरिट सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया। अपर मुख्य सचिव श्रीमती अरुणा शर्मा ने सांसद मीनाक्षी लेखी और पूर्व मुख्य महालेखा परीक्षक श्री विनोद राय से यह अवार्ड ग्रहण किया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में जून-2013 को उप राष्ट्रपति डॉहामिद अंसारी से चेन्ज ओवर इकानॉमिक केटेगरी अवार्ड प्राप्त किया।
नई दिल्ली में सितम्बर-2013 में प्रेक्टिस फॉर स्मॉर्ट गवर्नेंस पर हुई 33वीं स्कॉच समिट में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव तकनीकी शिक्षा श्रीमती अजिता वाजपेयी पाण्डेय ने प्लेटिनम स्कॉच पुरस्कार प्राप्त किया।
वरिष्ठ नागरिकों के लिये सेवाएँ और सुविधाएँ मुहैया करवाने के लिये मध्यप्रदेश को घोषित सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार अक्टूबर-2013 को नई दिल्ली में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने दिया। विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिये मध्यप्रदेश को सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता का अतिरिक्त पुरस्कार (नियोक्ता)फरवरी-2013 को नई दिल्ली में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने तत्कालीन सामाजिक न्याय के सचिव/आयुक्त श्री व्ही.केबाथम को दिया।
आठवें मनरेगा दिवस पर मनरेगा में उत्कृष्ट कार्य करने वाली पंचायत का पुरस्कार प्रदेश के बैतूल जिले की साकादेही ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमती हेमलता वाडिवा ने फरवरी-2013 को नई दिल्ली में सांसद श्रीमती सोनिया गाँधी से लिया।
नवम्बर-2012 में मध्यप्रदेश के दो शिल्पी श्री इस्माइल सुलेमान खत्री और श्री हरीश कुमार सोनी को राष्ट्रपति ने दिये राष्ट्रीय और शिल्प-गुरु अवार्ड। साढ़े 22लाख से अधिक भवन निर्माण श्रमिक का पंजीयन करने वाला देश का पहला राज्य बना मध्यप्रदेश। कौशल विकास मिशन में 90 हजार युवाओं को प्रशिक्षित करने पर प्रदेश के कौशल प्रशिक्षण की राष्ट्रीय-स्तर पर सराहना हुई। राष्ट्रपति द्वारा मध्यप्रदेश को रासेयो के सबसे ज्यादा पुरस्कार दिये गये।
दिसम्बर-2012 में मध्यप्रदेश को सीएसआई द्वारा कोलकाता में -उपार्जन के लिये प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया। पटवारियों की भर्ती के लिये मध्यप्रदेश को नई दिल्ली में प्रतिष्ठित मंथन अवार्ड-साउथ एशिया एण्ड एशिया पेसिफिक प्राप्त हुआ। सर्वोच्च कृषि विकास दर के लिये मध्यप्रदेश राष्ट्रपति द्वारा नई दिल्ली में मुख्यमंत्रियों के समागम में पुरस्कृत हुआ।
जनवरी-2013 में वाइब्रेन्ट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मध्यप्रदेश को बेस्ट स्टॉल अवार्ड दिया गया। स्पर्श अभियान के उत्कृष्ट क्रियान्वयन के लिये मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस अवार्ड भी प्राप्त हुआ।
जुलाई-2013 में राज्य शासन द्वारा शिशु मृत्यु दर को कम करने के प्रयासों को राष्ट्रीय-स्तर पर सराहा गया। जुलाई माह में श्रीनगर में एनआरएचएम और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालयभारत सरकार के राष्ट्रीय सम्मेलन में देश में सर्वाधिक नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाइयों (एसएनसीयू) की स्थापना करने के लिये मध्यप्रदेश को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। तत्कालीन केन्द्रीय पर्यटन मंत्री श्री केचिरंजीवी ने 18 जुलाई, 2013 को नई दिल्ली में पर्यटन मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में मध्यप्रदेश की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पर्यटन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश एक ऐसा अग्रणी राज्य हैजिसने पर्यटन के नये आयाम स्थापित किये हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये किये गये नये-नये रचनात्मक प्रयोग के जरिये मध्यप्रदेश ने पर्यटन के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। अन्य राज्य को अपने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये मध्यप्रदेश का अनुसरण करना चाहिये। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पर्यटन के क्षेत्र में लिये गये विभिन्न निर्णय की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
मध्यप्रदेश को 19 जुलाई, 2013 को नई दिल्ली में एक समारोह में ग्रामीण हाट योजना शुरू करने की अभिनव पहल के लिये संयुक्त राष्ट्र जन-सेवा अवार्ड-2013 से सम्मानित किया गया। तत्कालीन केन्द्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री डॉशशि थरूर और संयुक्त राष्ट्र की स्थानीय संयोजक सुश्री लीसी ग्रांड द्वारा अवार्ड प्रदान किया गया। प्रदेश की तत्कालीन महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती रंजना बघेलतत्कालीन महिला वित्त विकास निगम की अध्यक्ष श्रीमती सुधा जैन और हाट-बाजार संचालित करने वाली श्रीमती चत्तीबाई ने यह अवार्ड लिया।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर व्यवस्था लागू करने में मध्यप्रदेश अव्वल रहा। पन्द्रह जिलों में सामाजिक सुरक्षा पेंशन सीधे हितग्राहियों के बैंक खातों में पहुँचाई गई। इस अनूठी पहल से आम लोगों की समृद्धि के मक़सद से ट्रांसफर व्यवस्था लागू करने में मध्यप्रदेश देशभर में अव्वल हो गया है। मध्यप्रदेश के वित्तीय समावेशन मॉडल को अब देश के अन्य राज्य भी व्यापकता से लागू कर रहे हैं और सारे देश में इस मॉडल को सराहा जा रहा है।
मध्यप्रदेश में समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन में किये गये वित्तीय समावेशन कार्य की बेंकरोंकेन्द्र सरकार और अन्य राज्य के अधिकारियों द्वारा व्यापक सराहना की गई। वित्तीय समावेशन और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिये समृद्धि विषय पर 27 जुलाई, 2013 को हुए एक-दिवसीय सम्मेलन में बेंकरों,बीमा कम्पनियों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने इस दिशा में मध्यप्रदेश में किये गये कार्य को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए इसे और आगे बढ़ाने में पूरे सहयोग का आश्वासन दिया। सेंट्रल बेंक ऑफ इण्डिया के सीएमडी श्री टंकसाले ने कहा कि मध्यप्रदेश ने इस दिशा में बहुत अच्छा काम किया है। मध्यप्रदेश अकेला ऐसा राज्य हैजहाँ भारतीय रिजर्व बेंकराज्य सरकार तथा अन्य संबंधित संस्थाओं के बीच बहुत अच्छा समन्वय है। भारतीय रिजर्व बेंक के रीजनल डॉयरेक्टर श्री रवि मोहन ने कहा कि वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश काम अनुकरणीय है। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती स्नेहलता श्रीवास्तव ने कहा कि अच्छा काम करने वाले राज्यों को योजना का अधिक लाभ दिया जायेगाजिसमें मध्यप्रदेश भी आगे हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश के सामाजिक सुरक्षा मिशन में किये गये वित्तीय समावेशन के कार्य को उत्कृष्ट बताया।
मध्यप्रदेश वेयर-हाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन को राष्ट्रीय-स्तर के अवार्ड मिले। कार्पोरेशन को इण्डियन चेम्बर ऑफ कामर्स द्वारा इण्डियन सप्लाई चेन एण्ड लॉजिस्टिक्स एक्सीलेंस अवार्ड-2013 के तहत "इनोवेटिव स्टेट वेयर-हाउसिंग कार्पोरेशन ऑफ द इयर" का अवार्ड नई दिल्ली में मिला। इसी तरह वित्तीय स्रोत प्रबंधन के लिये कार्पोरेशन को "इ इण्डिया पीएसई" अवार्ड हैदराबाद में आन्ध्रप्रदेश के तत्कालीन सूचना तकनीकी मंत्री श्री पुनाला लक्ष्मैया द्वारा दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी, 2012 में मध्यप्रदेश में जन-कल्याण कार्यों से संबंधी न्यायिक आदेशों पर अमल के मामले में एक बार फिर राज्य के श्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार की सराहना की। इस बार अदालत ने राज्य में सर्दी में बेसहारा लोगों के लिये रैन-बसेरों की व्यवस्था के मामले में राज्य सरकार के काम को सराहा। इसके पहले अदालत ने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करने पर मध्यप्रदेश सरकार की सराहना की थी
इण्डिया टुडे द्वारा एक नवम्बर, 2012 को स्टेट ऑफ स्टेट कार्यक्रम में व्यापक अर्थ-व्यवस्था की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिये मध्यप्रदेश को पुरस्कृत किया गया। इसी के साथ अन्य श्रेणियों में मध्यप्रदेश पिछले वर्ष की तुलना में भी आगे रहा। यही नहीं अप्रैल, 2011 में हिन्दी भाषी राज्यों के शक्तिशाली नेतृत्व में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को सबसे पहले शुमार किया गया। इण्डिया टुडे पत्रिका द्वारा वर्ष 2011 की आला हस्तियों के बारे में किये गये एक सर्वेक्षण में श्री चौहान को जनता से सीधे संवाद और सहज-सरल स्वभाव के बूते अपने राज्य में सच्चा जन-नेता माना गया।
प्रदेश को यूनाइटेड नेशन्स पब्लिक सर्विस अवार्ड-2012 इम्प्रूविंग द डिलेवरी ऑफ पब्लिक सर्विसेस श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। ब्राजील के रियो-डी-जैनेरियो शहर में 21 जून, 2012 को वूमेन गुड प्रेक्टिस अवार्ड रियो प्लस 20 में जल तथा स्वच्छता श्रेणी में मध्यप्रदेश को द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
नवम्बर, 2011 में प्रदेश भर में चर्चित मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के बेटी बचाओ अभियान की गूँज पड़ोसी देश पाकिस्तान तक भी जा पहुँची। पाकिस्तान के जाने-माने मीडिया समूह डान से जुड़ी पत्रकार सोफिया जमाल ने चौहान के नेतृत्व में बेटी बचाओ अभियान को एक बेहद सकारात्मक पहल बताया। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रमुख स्वामी अग्निवेश ने अक्टूबर, 2011 में मध्यप्रदेश में लिंग भेद के विरोध में प्रारंभ किये गये बेटी बचाओ अभियान की प्रशंसा की। अक्टूबर, 2011 में बेटी बचाओ अभियान के शुभारंभ अवसर पर यूनिसेफ के स्टेट हेड श्री एडवर्ड बिडर ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह एक बहुत महत्वपूर्ण पहल हैजिसे देखकर मैं बहुत प्रभावित हूँ।
जून, 2011 में विकास के लिये की गई मध्यप्रदेश सरकार की सकारात्मक पहल से प्रभावित विश्व बेंक ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को वाशिंगटन आमंत्रित किया। विश्व बेंक का मानना है कि महिलाओं के विकाससामाजिक सुरक्षा और लड़कियों के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण बदलने में किये गये अनुकरणीय प्रयास की योजनाओं की जानकारी अन्य देशों को भी मिलनी चाहिये।
दिसम्बर-2012 में मध्यप्रदेश को कोलकता में कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इण्डिया की ओर से -उपार्जन के लिये अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस प्राप्त हुआ।मध्यप्रदेश को -भुगतान के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिये गोल्ड अवार्ड और स्टेट ऑफ द इयर अवार्ड सितम्बर, 2012 में मिला है। मध्यप्रदेश को ई-उपार्जन की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया के लिये राष्ट्रीय कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इण्डिया निहिलेंट अवार्ड के लिये भी चुना गया। फरवरी, 2011 में मध्यप्रदेश सरकार को ई-शासन के उत्कृष्टतम क्रियान्वयन में विशेष पहल के लिये भारत सरकार ने नेशनल ई-गवर्नेंस अवार्ड से पुरस्कृत किया। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में दो दिवसीय चौदहवीं नेशनल कान्फ्रेंस ऑन ई-गवर्नेंस के अवसर पर मध्यप्रदेश में चल रहे ई-शासन के उत्कृष्ट कार्य को न केवल भारत सरकार ने मान्यता प्रदान कीबल्कि उसके क्रियान्वयन में विशेष पहल और प्रोत्साहन देने के लिये ई-गवर्नेंस का प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत सरकार के प्रशासकीय सुधार और सार्वजनिक शिकायत विभाग एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने संयुक्त रूप से प्रदान किया।
मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना की ऑनलाइन मॉनीटरिंग के लिये बनाये गये सॉफ्टवेयर को ‘‘स्कॉच डिजिटल इन्क्लूजन अवार्ड-2012’’ से पुरस्कृत किया गया। अगस्त, 2011 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में मध्यप्रदेश में बनी सड़कें अब सर्वे ऑफ इण्डिया के नक्शों में दर्शाई जायेगी। यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। केन्द्रीय योजना आयोग ने जून, 2011 में प्रदेश की सीमावर्ती 24 परिवहन जाँच चौकियों के आधुनिकीकरण की1150 करोड़ रुपये की परियोजना को अभिनव कदम करार देकर सराहा। आयोग ने इसकी केस स्टडी तैयार करने को कहाताकि अन्य राज्य को इसके अनुकरण को कहा जा सके।
मध्यप्रदेश पुलिस की साइबर सेल को जनवरी, 2012 में देश का बेस्ट साइबर काप ऑफ इण्डिया अवार्ड प्रदान किया गया।
तत्कालीन केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने 22 मार्च, 2012 को दिल्ली में मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कम्पनी लिमिटेड को ट्रांसमिशन परियोजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन के लिये वार्षिक राष्ट्रीय पुरस्कारों में रजत-शील्ड व प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया।
मध्यप्रदेश के पर्यटन राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा ने फरवरी-2014 में नई दिल्ली में तत्कालीन केन्द्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री श्री शशि थरूर से सर्वोत्तम पर्यटन प्रदेश का राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार प्राप्त किया। मध्यप्रदेश पर्यटन निगम के तत्कालीन अध्यक्ष डॉमोहन यादव को फिल्म अभिनेता श्री तुषार कपूर ने लोनली प्लेनेट ग्रुप के बेस्ट इण्डियन डेस्टीनेशन फॉर वाइल्ड लाइफ पुरस्कार दिया।
दिसम्बर, 2011 में मुम्बई में ट्रेवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के सेमीनार में मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम को बेस्ट स्टेट टूरिज्म बोर्ड ऑफ द इयर अवार्ड से सम्मानित किया। जनवरी, 2011 में नई दिल्ली में मध्यप्रदेश में वित्तीय वर्ष 2011-12 के दौरान पर्यटन परियोजनाओं की प्राथमिकता निर्धारण बैठक में राज्य द्वारा पर्यटन के क्षेत्र में किये गये विकास की सराहना करते हुए केन्द्रीय पर्यटन विभाग के अधिकारियों सहित अन्य राज्यों के अधिकारियों को भी मध्यप्रदेश का उदाहरण देने के निर्देश दिये गये।
डेल्ही सस्टेनेबल डेव्हलपमेंट समिट-2012 के दौरान प्रदेश को पैनासोनिक ग्रीन ग्लोब अवार्ड मिला। यह पुरस्कार वन विभाग द्वारा पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों के लिये दिया गया है। वन विभाग को फरवरी, 2012 में जी.आई.एस.एस.डी.आईअवार्ड जी.आई.एसतकनीक के बेहतर उपयोग के लिये दिया गया। अगस्त, 2012 में मध्यप्रदेश में वन अधिकार अधिनियम के बेहतर क्रियान्वयन की न केवल केन्द्र सरकार ने प्रशंसा की,बल्कि देश के अन्य राज्यों ने भी इसका अनुसरण किया। मई, 2011 में तत्कालीन केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री श्री जयराम रमेश ने भोपाल भ्रमण के दौरान वन विभाग में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत शासन तथा अन्य प्रदेशों के लिये भी इस तरह के सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिये मध्यप्रदेश के वन विभाग का सहयोग लिया जायेगा। अप्रैल, 2011 में केन्द्रीय योजना आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष श्री मोन्टेक सिंह अहलूवालिया ने प्रदेश के वन विभाग द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी उपयोग के कार्यों की प्रशंसा की और अधिकारियों को इसके प्रस्तुतिकरण के लिये दिल्ली बुलाया।
इसी तरह कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये प्रदेश को एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड-2012 भी प्राप्त हुआ है। अगस्त, 2012 में लाखों किसानों को बिना ब्याज(जीरो प्रतिशतपर कृषि ऋण देने की मध्यप्रदेश सरकार की नीति गुजरात सरकार को भी रास आयी। जुलाई, 2012 में राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी श्री पी..संगमा ने कहा कि सुशासन के क्षेत्र में अब तक गुजरात का नाम लिया जाता थालेकिन अब मध्यप्रदेश भी आगे आ रहा है। उन्होंने मध्यप्रदेश में आदिवासियों और किसानों के कल्याण के लिये हो रहे कामों को अनुकरणीय बताया।
जुलाई, 2012 में लोक सेवा गारंटी अधिनियम के मध्यप्रदेश में सफल क्रियान्वयन के बाद देश के आठ राज्य ने भी इसका अनुसरण किया। इसमें बिहारपंजाबउत्तराखण्डदिल्लीजम्मू-कश्मीरउत्तरप्रदेशराजस्थान और झारखण्ड शामिल हैं। जनवरी, 2011 में शिवराज केबिनेट द्वारा प्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिये विशेष अदालत गठित करने तथा दोषियों की सम्पत्ति जप्त करने के फैसले का व्यापक स्वागत हुआ और प्रबुद्धजन ने इसे सही फैसला बताया।
जनवरी, 2011 में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुख्य संरक्षक मौलाना कल्ब--जव्वाद के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि-मण्डल ने भेंट कर प्रदेश में सर्वधर्म समभाव और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ बगैर जातिधर्म और भेदभाव के सभी गरीबों तक पहुँचाने के प्रयासों की सराहना की। सितम्बर, 2011 में अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति वितरण के मामले में केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश को मॉडल राज्य माना और अन्य राज्यों को अनुसरण की सलाह दी। केन्द्र ने वक्फ बोर्ड में कम्प्यूटराइजेशन के काम को भी आदर्श करार देते हुए अन्य राज्यों को अमल में लाने की सलाह दी।
फरवरी, 2012 में बालिकाओं की शिक्षा के प्रयासों और नवाचारी पहल के मामले में मध्यप्रदेश का प्रदर्शन अन्य राज्य की तुलना में सर्वाधिक उत्कृष्ट रहा। यह निष्कर्ष राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में सामने आयाजिसे एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पत्रिका और एबेकस मार्केट रिसर्च सर्वेनई दिल्ली ने किया था।
फरवरी, 2012 में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में चौथे पायदान पर रहा। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में लगभग साढ़े 17 हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई। बालाघाट केन्द्रीय सहकारी बेंक को माओवाद प्रभावित ग्राम में मोबाइल बेंकिंग को प्रोत्साहित करने के लिये नाबार्ड का राष्ट्रीय पुरस्कार-2012 मिला।
सितम्बर, 2011 में केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश के ग्राम विकास कार्यों की प्रशंसा की। केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अनुसार वर्ष2010-11 के लिये मध्यप्रदेश में स्व-सहायता समूहों की गतिविधियोंखाद्य सुरक्षानिर्धन वर्ग के लिये लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और ग्राम स्व-रोजगार योजना आदि कार्यों को उत्कृष्ट श्रेणी का माना गया। सितम्बर, 2011 में लाओस एवं वियतनाम के अध्ययन दल ने प्रदेश के चुने हुए जिलों के गाँवों में ग्रामीण समुदाय को विश्वास में लेकर स्व-सहायता समूह के रूप में उन्हें संगठित कर आजीविका संवर्धन गतिविधियों से जोड़ने के कार्य की सराहना की।
सितम्बर, 2011 में वर्ल्ड इकॉनामी फोरम के चेयरमेन क्लास सैव ने प्रदेश की प्रगतिशील नीतियों की सराहना की। चीन के डालियान शहर में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा के दौरान वे प्रदेश से इतने खुश हुए कि उन्होंने मुख्यमंत्री को सी.आई.आईऔर वर्ल्ड इकॉनामी फोरम द्वारा संयुक्त रूप से नवम्बर, 2011 में मुम्बई में होने वाले इण्डियन इकॉनामी फोरम के समिट में भाग लेने का आमंत्रण दिया।
जून, 2011 में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हार्ट सर्जन और एस्कार्टनई दिल्ली के डायरेक्टर डॉवाय.केमिश्रा ने नव भारत और सेंट्रल क्रानिकल से बातचीत के दौरान मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बाल ह्रदय उपचार योजना की शुरूआत पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की मुक्त कंठ से सराहना की। जून, 2011 में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 2010-11 में जनसंख्या रोकने के लिये सबसे कारगर कार्य मध्यप्रदेश में हुआ है।
जून, 2011 में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालकृष्ण आडवाणी ने अपने ब्लॉग में मध्यप्रदेश सरकार के नाट्य विद्यालय की शुरूआत को सराहनीय पहल बताया। उन्होंने कहा कि इससे रंगमंचटेलीविजन और सिनेमा तीनों माध्यम और समृद्ध हो सकेंगे। फिल्म स्टार जया बच्चन ने भी नाट्य विद्यालय की स्थापना की सराहना की।
अप्रैल, 2011 में वैश्विक परिदृश्य पर मध्यप्रदेश की पहचान एक निवेश मित्र राज्य के रूप में स्थापित हुई। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा संसद में प्रस्तुत किये गये प्रतिवेदन के अनुसार राज्य में पिछले वर्ष के मुकाबले वर्ष 2010-11 में 800 प्रतिशत अधिक विदेशी निवेश हुआ। यह राज्य शासन के मध्यप्रदेश में पूँजी निवेश आकर्षित करने के अनवरत अभियान का नतीजा है।
केन्द्र सरकार के अधिकारियों ने मध्यप्रदेश में सड़क विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में हुए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के उत्कृष्ट कार्यों की देश के कई राज्य में सराहना हुई है। बिहार तथा राजस्थान राज्यों ने सड़क विकास के लिये मध्यप्रदेश सरकार के मॉडल को जस का तस अपनाया है। मध्यप्रदेश में वर्ल्ड बेंक और एडीबी द्वारा संचालित विभिन्न वित्त परियोजना की राज्य-स्तरीय समीक्षा में भी यह बात सामने आयी।
प्रदेश के विकेन्द्रीकृत जिला योजना मॉडल से केन्द्रीय योजना आयोग इस कदर प्रभावित रहा कि वह दूसरे राज्यों को इस मॉडल को अपनाने के लिए प्रेरित करता रहा। आयोग ने विकेन्द्रीकृत योजना लागू करने में पिछड़े राज्यों को मध्यप्रदेश मॉडल अपनाने की सलाह भी दी।
मध्यप्रदेश में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति का प्रचार-प्रसारआवेदन का तरीका और ऑनलाइन प्रक्रिया को केन्द्र सरकार ने आदर्श माना है।
ब्रिटिश सरकार के अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (डीएफआईडीने प्रदेश के 14 नगर निगम में चल रहे प्रोजेक्ट ‘‘उत्थान’’ के कार्यों की सराहना की। डीएफआईडी के दल ने प्रोजेक्ट उत्थान के कार्यों विशेषकर ई-गवर्नेंस कार्य जैसे म्युनिसिपल एडमिनिस्ट्रेशन सिस्टमट्रेंनिग मेनेजमेंट सिस्टमऑटोमेटिक बिल्डिंग परमिशन सिस्टम आदि कार्यों की प्रशंसा की। इसी तरह नगरीय निकायों के अधिकारियों-कर्मचारियों की क्षमता में वृद्धि के लिए मध्यप्रदेश राज्य का प्रशिक्षण माड्यूल सभी राज्यों में लागू किया गया।
केन्द्रीय योजना आयोग के तत्कालीन सदस्य डानरेन्द्र जाधव ने मध्यप्रदेश में रोजगारोन्मुखी शिक्षा और प्रशिक्षण सुविधाओं के विस्तार के साथ ही परम्परागत कारीगरों के कौशल उन्नयन की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में हो रहे प्रयासों से अन्य प्रदेश भी लाभान्वित होंगे। तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सुश्री सुजाता राव ने सेहत के मामले में मध्यप्रदेश सरकार के प्रयासों को सराहते हुए कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में दृढ़ राजनीतिक इच्छा-शक्ति दिखती है।
ब्रिटेन सरकार के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट अंतर्राष्ट्रीय विकास एंड्रयू मिशेल ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के स्कूलोंअस्पतालों की तुलना करते हुए प्रदेश में स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के प्रयासों एवं परिणामों की सराहना की। उन्होंने अटल बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन लागू करने के लिये भी मुख्यमंत्री की सराहना की। योजना आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष श्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी गत वर्ष जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन में अग्रणी रहने पर मध्यप्रदेश की पीठ थपथपाई। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसकी प्रशंसा की।
अध्यक्ष वैलिड न्यूट्रीशनआयरलेण्ड डॉस्टेव कॉलिंस के साथ इस वर्ष भोपाल पहुँची यूनिसेफ की पाँच सदस्यीय टीम ने बैरागढ़ सिविल अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केन्द्र का निरीक्षण कर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा कि ‘‘मैं पिछले 20 वर्ष से पोषण पुनर्वास केन्द्रों का निरीक्षण कर रहा हूँ लेकिन इससे अच्छा केन्द्र पहले कभी नहीं देखा।’’
रिलायन्स के एडीएजी प्रमुख श्री अनिल अंबानीश्री आदित्य बिड़ला समूह के श्री कुमारमंगलम बिड़लाएस्सार समूह के अध्यक्ष श्री शशि रूइया एवं जे.पी.एसोसिएट्स के श्री जे.पीगौर ने कहा कि अगले दस साल में प्रदेश हर दृष्टि से देश का सर्वाधिक विकसित राज्य बनेगा। रियो टिंटो के अंतर्राष्ट्रीय संचालन प्रमुख श्री राबर्ट कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में प्रशासनिक प्रक्रियाएँ काफी पारदर्शी और निवेशों के अनुकूल है। श्री कोर्ट ने कहा कि निकट भविष्य में प्रदेश दुनिया के दस प्रमुख हीरा उत्पादक क्षेत्रों में शामिल हो जायेगा।
खेलों में बेहतरीन काम के लिये केन्द्र सरकार ने खेल दिवस-29 अगस्त 2010 को मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन अवार्ड से नवाजा। यह अवार्ड तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को भेंट किया। अवार्ड पाते ही मध्यप्रदेश देश में एक रोल मॉडल बन गया। यह पहला मौका है जब किसी प्रदेश को यह अवार्ड मिला। प्रदेश की गाँव-गाँव में खेल योजना से केन्द्रीय खेल मंत्रालय इतना प्रभावित हुआ कि इसे मॉडल रूप में पूरे देश में लागू कर दिया।
खेलों के प्रोत्साहन में राष्ट्रपति के हाथों से सम्मानित होने वाला प्रदेश अब देश में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के क्रियान्वयन में भी बाजी मार सकता है। प्रदेश इस मामले में कई राज्य से बेहतर स्थिति में है। यह बात तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सचिव श्रीमती अंशु वैश्य ने कही।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यू.एन.सी.एफ.) द्वारा प्रदेश में प्रत्येक एक किलोमीटर पर प्राथमिकप्रत्येक तीन किलोमीटर पर माध्यमिक और प्रत्येक पाँच किलोमीटर पर हाईस्कूल की उपलब्धता की सराहना की गयी। यूनीसेफ की भारत प्रमुख सुश्री करीन हुल्शोक ने राज्य शासन द्वारा शिक्षास्वास्थ्य और कुपोषण के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों को प्रशंसनीय बताया। उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों के विकास के लिये लागू अभिनव योजनाओं से प्रदेश की विश्व स्तर पर पहचान बनी है। विश्व बेंक ने पोषित व्यावसायिक शिक्षा सुधार परियोजना में मध्यप्रदेश के प्रदर्शन को बेहतर माना। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के दल ने मध्यप्रदेश में मातृ मृत्यु दर कम करने के लिये संस्थागत प्रसव में हुई वृद्धि एवं शिशु मृत्यु दर कम करने की कोशिशों को सराहा।
महाराष्ट्र के तत्कालीन उद्योग मंत्री श्री राजेन्द्र दर्डा ने मध्यप्रदेश के औद्योगिक प्रगति की मुक्तकंठ से सराहना की। श्री दर्डा ने कहा कि मध्यप्रदेश में पोर्ट नहीं है,जंगल का क्षेत्र ज्यादा है फिर भी औद्योगिक क्षेत्र में जिस तरह प्रदेश आगे बढ़ रहा हैकाबिले तारीफ है। श्री दर्डा ने यह बात इंदौर में मध्यप्रदेश के तत्कालीन उद्योग मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में कही।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ.पी.जेअब्दुल कलाम ने मध्यप्रदेश वनवासी सम्मान यात्रा के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को बधाई देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों और जल संरचनाओं के संरक्षण और विकास के क्षेत्र में काफी अच्छा कार्य कर रहा है। पालपुर कूनो में चीतों के विस्थापन की मंजूरी और कान्हा तथा नेशनल पार्क में बफर जोन घोषित कर राज्य सरकार ने तत्कालीन केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री श्री जयराम रमेश का दिल जीत लिया।